लखनऊ: 2019 से जेल में बंद उत्तर प्रदेश के बसपा सांसद अतुल राय को वाराणसी की एक कोर्ट ने शनिवार को बलात्कार के आरोप से बरी कर दिया. हालांकि, उनके खिलाफ अन्य लंबित मामलों के कारण उन्हें जेल से रिहा नहीं किया जाएगा. कोर्ट ने सबूतों के अभाव में बसपा सासद अतुल राय को बरी किया है. वाराणसी एमपी-एमएलए कोर्ट के एडिशनल (अपर) जिला न्यायाधीश सियाराम चौरसिया इस मामले की सुनवाई कर रहे थे. नैनी जेल में बंद अतुल राय वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अदालत में पेश हुए थे.
युवती ने बाद में अपने पुरुष दोस्त (जो इस केस का चश्मदीद भी था) के साथ सुप्रीम कोर्ट के गेट पर खुद को आग लगा ली थी. जिसके बाद दोनों को गंभीर हालत में दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां 9 दिनों के बाद दोनों की मौत हो गई थी. पीड़िता ने आरोप लगाया था कि वाराणसी पुलिस, जहां उसने मामला दर्ज करवाया था, जेल में बंद सांसद और उनके रिश्तेदारों के साथ मिलीभगत कर रही थी.खुद को आग लगाने से पहले महिला और उसके दोस्त ने फेसबुक लाइव वीडियो किया था. वीडियो में, उन्होंने उत्तर प्रदेश पुलिस पर सांसद और उनके रिश्तेदारों के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया था. दोनों ने कहा था कि उन्हें न्याय की उम्मीद नहीं है. राय इस मामले में यूपी पुलिस द्वारा दायर आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में भी आरोपी हैं और जुलाई में इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनकी जमानत खारिज कर दी थी.
मई 2019 में, महिला ने घोसी के सांसद अतुल राय के खिलाफ मामला दर्ज कराया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्होंने वाराणसी में अपने आवास पर उसके साथ बलात्कार किया था. उसने एक महीने बाद सरेंडर कर दिया और तब से वह जेल में हैं. नवंबर 2020 में, राय के भाई ने वाराणसी में महिला के खिलाफ भी जालसाजी का मामला दर्ज कराया था.
साल 2020 में, सुप्रीम कोर्ट ने पैरोल पर रहते हुए अतुल राय को सांसद के रूप में शपथ लेने की अनुमति दी थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उन्हें शपथ के लिए दो दिन की पैरोल दी थी.