प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी गुजरात यात्रा के दूसरे दिन आज भुज में कई विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया है. इनमें पानी, बिजली, सड़क और डेयरी से जुड़े प्रोजेक्ट हैं. इस मौके पर भुज में एक सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि एक दौर था जब गुजरात पर एक के बाद एक संकट आ रहे थे. प्राकृतिक आपदा से गुजरात निपट ही रहा था कि साजिशों का दौर शुरू हो गया. ऐसी स्थिति में भी गुजरात डटा रहा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि एक दौर था जब गुजरात पर एक के बाद एक संकट आ रहे थे. प्राकृतिक आपदा से गुजरात निपट ही रहा था कि साजिशों का दौर शुरु हो गया. देश और दुनिया में गुजरात को बदनाम करने के लिए, यहां निवेश को रोकने के लिए एक के बाद एक साजिशें की गईं. ऐसी स्थिति में भी एक तरफ गुजरात देश में डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट बनाने वाला पहला राज्य बना. पीएम मोदी ने कहा कि इसी एक्ट की प्रेरणा से पूरे देश के लिए भी ऐसा ही कानून बना. देश में आज जो ग्रीन हाउस अभियान चल रहा है, उसमें गुजरात की बहुत बड़ी भूमिका है. इसी तरह जब गुजरात, दुनिया भर में ग्रीन हाउस कैपिटल के रूप में अपनी पहचान बनाएगा, तो उसमें कच्छ का बहुत बड़ा योगदान होगा.
पीएम मोदी ने कहा कि ये गुजरात के कच्छ के विकास के लिए डबल इंजन सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है. पीएम मोदी ने कहा, 26 जनवरी का वो दिन जब कच्छ में भूकंप जब आया था, तब मैं दिल्ली में था. कुछ ही घंटों में मैं दिल्ली से अहमदाबाद पहुंचा और दूसरे दिन मैं कच्छ पहुंच गया. तब मैं मुख्यमंत्री नहीं था, मैं भाजपा का एक साधारण कार्यकर्ता था. पीएम मोदी ने कहा, “मुझे नहीं पता था कि मैं कैसे और कितने लोगों की मदद कर पाऊंगा, लेकिन मैंने तय किया कि मैं इस दुख की घड़ी में आप सभी के बीच में रहूंगा. जो भी संभव होगा, मैं आपके दुख में हाथ बंटाने का प्रयास करूंगा.”
पीएम ने कहा कि कच्छ की एक विशेषता तो हमेशा से रही है, जिसकी चर्चा मैं अक्सर करता हूं. यहां रास्ते में चलते-चलते भी कोई व्यक्ति एक सपना बो जाए तो पूरा कच्छ उसको वटवृक्ष बनाने में जुट जाता है. कच्छ के इन्हीं संस्कारों ने हर आशंका, हर आकलन को गलत सिद्ध किया है. उन्होंने कहा कि ऐसा कहने वाले बहुत थे कि अब कच्छ कभी अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो पाएगा. लेकिन आज कच्छ के लोगों ने यहां की तस्वीर पूरी तरह बदल दी है.
पीएम ने कहा कि आज हमारे कच्छ में क्या नहीं है. नगर निर्माण को लेकर हमारी विशेषज्ञता धौलावीरा में दिखती है. पिछले वर्ष ही धौलावीरा को वर्ल्ड हैरिटेज साइट का दर्जा दिया गया है. धौलावीरा की एक-एक ईंट हमारे पूर्वजों के कौशल, उनके ज्ञान-विज्ञान को दर्शाती है. कच्छ का विकास, सबका प्रयास से सार्थक परिवर्तन का एक उत्तम उदाहरण है. कच्छ सिर्फ एक स्थान नहीं है, बल्कि ये एक स्पिरिट है, एक जीती-जागती भावना है. ये वो भावना है, जो हमें आजादी के अमृतकाल के विराट संकल्पों की सिद्धि का रास्ता दिखाती है.
पीएम मोदी ने कहा, “मुश्किल भरे उन दिनों में मैंने बड़े आत्मविश्वास से कहा था कि ‘हम आपदा को अवसर में बदल के रहेंगे. मैंने ये भी कहा था कि आपको जो ‘रण’ दिखता है, मुझे उसमें भारत का ‘तोरण’ दिखता है. आज मैं लाल किले से कहता हूं कि 2047 को भारत ‘विकसित देश’ बनेगा. 2001 में पूरी तरह तबाह होने के बाद से कच्छ में जो काम हुए हैं, वो अकल्पनीय हैं. कच्छ में 2003 में क्रांतिगुरू श्यामजी कृष्णवर्मा यूनिवर्सिटी बनी तो वहीं 35 से भी ज्यादा नए कॉलेजों की भी स्थापना की गई है.”