भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) अगले सप्ताह अपनी बैठक में नीतिगत रेपो रेट में 0.35 प्रतिशत की वृद्धि का निर्णय कर सकती है. अमेरिकी ब्रोकरेज कंपनी बोफा सिक्योरिटीज की एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि रेपो दर में वृद्धि के साथ नीतिगत रुख को सूझबूझ के साथ कड़ा किया जा सकता है. रिपोर्ट एमपीसी की बैठक से पहले जारी की गयी है. समिति की बैठक तीन अगस्त से शुरू होगी और पांच अगस्त को मौद्रिक नीति समीक्षा पेश की जाएगी.
रिजर्व बैंक ने बढ़ती खुदरा मुद्रास्फीति केंद्रीय बैंक के संतोषजनक स्तर दो से छह प्रतिशत के दायरे से बाहर चली गयी है.
ब्रोकरेज कंपनी ने अप्रैल की मौद्रिक नीति समीक्षा का जिक्र करते हुए कहा कि केंद्रीय बैंक प्रभावी रूप से नीतिगत दर 1.30 प्रतिशत बढ़ा चुका है. उस समय शीर्ष बैंक ने स्थायी जमा सुविधा शुरू की थी. रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘…हमारा अनुमान है कि मौद्रिक नीति समिति रेपो दर में 0.35 प्रतिशत की वृद्धि कर इसे 5.25 प्रतिशत कर सकती है. यह कोविड-पूर्व स्तर से अधिक है. साथ ही उदार रुख को बदलकर सूझबूझ के साथ कड़ा करने की राह अपना सकती है.”
इसमें कहा गया है कि एमपीसी वित्त वर्ष 2022-23 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति और वास्तविक जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर के अनुमान को क्रमश: 6.7 प्रतिशत और 7.2 प्रतिशत पर बरकरार रख सकती है.
फेडरल बैंक ने बढ़ाई है ब्याज दरें
अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने बुधवार को लगातार तीसरी बार ब्याज दरों में बड़ी बढ़ोतरी की है. महंगाई को काबू में करने के मकसद से फेडरल रिजर्व ने 0.75 फीसदी बढ़ोतरी ब्याज दरों में की है. फेडरल रिजर्व का लक्ष्य महंगाई को थामने की ओर है, जो 9.1 फीसदी के साथ 41 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है. अमेरिकी ब्याज दरों में बढ़ोतरी का असर डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत पर भी पड़ सकता है. रुपया पहले ही डॉलर के मुकाबले 80 के आसपास है औऱ डॉलर की मजबूती के बाद विदेशी निवेशकों की बिकवाली और तेज हो सकती है, जिससे रुपये पर असर पड़ना स्वाभाविक है.